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नवरात्रि की अष्टमी का विशेष महत्व: कन्या पूजन की शास्त्रोक्त विधि और धार्मिक मान्यताएं

नवरात्रि की अष्टमी का है विशेष महत्व: जानें कन्या पूजन करने की शास्त्र अनुसार विधि

 नवरात्रि में अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्याओं की पूजा करने से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। इस लेख में कन्या पूजन करने की विधि, कन्याओं की उम्र के अनुसार माता के स्वरूप के बारे में जानकारी और धार्मिक मान्यताएं प्रस्तुत की गई हैं।
{ writer by, minakshi }

अष्टमी का महत्व:
 हिंदू धर्म में नवरात्रि उत्सव का विशेष महत्व होता है, और उसमें भी महाष्टमी के दिन कन्या पूजन का खास महत्व होता है। नवरात्रि के आठवें दिन कन्याओं की पूजा करना शुभ माना जाता है, क्योंकि कन्याओं में माता दुर्गा का स्वरूप निवास करता है। 2024 में महाष्टमी 11 अक्टूबर को है, जो रविवार के दिन पड़ेगी।


कन्या पूजन की शास्त्रोक्त विधि: 
कन्या पूजन के लिए कन्याओं को आमंत्रित कर उनकी पूर्ण सम्मान के साथ पूजा करनी चाहिए।

  • सबसे पहले, कन्याओं और बालक के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाना चाहिए।
  • फिर कन्याओं को तिलक लगाकर उनके हाथ में कलाई पर रक्षा सूत्र बांधना चाहिए।
  • कन्याओं को भोजन कराने से पहले माता दुर्गा को भोग अर्पित करना चाहिए।
  • आमंत्रित कन्याओं और बालकों को आदरपूर्वक भोजन कराना चाहिए।
  • उसके बाद उनकी पूजा कर, उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके चरण स्पर्श करने चाहिए।
  • पूजा के बाद कन्याओं को उपहार या उनकी इच्छित वस्तु देनी चाहिए।
  • अंत में, कन्याओं को घर के प्रवेश द्वार तक विदा करने जाना चाहिए, जो उच्च सम्मान का प्रतीक माना जाता है।


कन्याओं की उम्र के अनुसार माता का स्वरूप: 
कन्याओं की उम्र के अनुसार उन्हें माता दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है:

  • 10 वर्ष: कन्या सुभद्रा
  • 9 वर्ष: दुर्गा
  • 8 वर्ष: शांभवी
  • 7 वर्ष: चंडिका
  • 6 वर्ष: कालिका
  • 5 वर्ष: रोहिणी
  • 4 वर्ष: कल्याणी
  • 3 वर्ष: त्रिमूर्ति

धार्मिक महत्व और मान्यताएं: 
इस दिन की गई कन्याओं की पूजा केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, इन कन्याओं में माता दुर्गा का अविनाशी रूप निवास करता है। अष्टमी के दिन की गई पूजा के द्वारा भक्त माता दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जो भक्त यह पूजा पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ करते हैं, उन्हें जीवन में सफलता, शांति, और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। कन्याओं को खिलाना, उन्हें भोजन कराना और उपहार देना जीवन से सभी प्रकार की समस्याओं और विपत्तियों को दूर करने की प्राचीन मान्यता है।

कन्या पूजन में ध्यान देने योग्य बातें: 
कन्या पूजन के लिए 9 से अधिक कन्याओं का भी पूजन किया जा सकता है, लेकिन यदि संभव हो तो नौ कन्याओं का ही पूजन करना शुभ माना जाता है। पूजा के लिए कन्याओं के आचार-विचार और उनके पुण्य का आदर करते हुए उन्हें पूजना चाहिए। पूजा के दौरान उन्हें आरामदायक और आदरपूर्ण तरीके से बिठाना चाहिए।

आरती और भोजन: 
कन्याओं को भोजन कराने से पहले माता दुर्गा को भोग लगाना आवश्यक है। भोजन के समय उन्हें उनकी पसंद का भोजन परोसना चाहिए और विधि अनुसार आरती उतारनी चाहिए।

आशीर्वाद का महत्व: 
कन्याओं के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेना केवल धार्मिक कारण से नहीं, बल्कि यह भक्ति और सम्मान का प्रतीक है। कन्याओं के आशीर्वाद के माध्यम से भगवान का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

अंतिम टिप्पणी:
 नवरात्रि के इस दिन की गई कन्या पूजन विभिन्न धर्म और परंपराओं में विशेष स्थान रखती है। माता दुर्गा की पूजा के द्वारा जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।


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ASHIK RATHOD FINANCIAL ADVISOR

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